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About the Book:
पुस्तक “जीवन चित्रण” के माध्यम से उन बिन्दुओं को उठाया गया है, जिनका सामना समाज के प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति प्राय: करता रहता है। काल्पनिक एवं क्षणिक सुख के चक्कर में वो उनके महत्व को अनदेखा करते हुए धीरे-धीरे तनाव, द्वेष, बनावटी सुख एवं असंतोष के दलदल में धँसता चला जाता है, जहाँ से फिर चाहकर भी बाहर नहीं निकल पता। जीवन के साधारण लगने वाले लेकिन महत्वपूर्ण मुद्दों को पुस्तक में बहुत ही अर्थपूर्ण
व आकर्षक तरीके से बयां करते हुए सफल, सुखी एवं रोमांचक जीवन के सूत्रों को आपके समक्ष रखा गया है। पुस्तक के माध्यम से लेखक की यह इच्छा स्पष्ट परिलक्षित होती है कि- या रब मेरी दुआओं में इतना असर रहे, खुशियों से सराबोर हर देशवासी का घर रहे। वैश्विक स्थिति, देश की समस्याएं, व्यवस्था, पौराणिक संस्कृति के प्रति बढ़ती उदासीनता, शिष्टाचार एवं मानवीय मूल्यों में हो रहे ह्रास जैसे मुद्दों तथा उनके तर्क-संगत व व्यावहारिक समाधानों का उल्लेख पुस्तक के बहुआयामी परिवेश को दर्शाता है।
जीवन के अर्थ, सुख व रोचकता के सारे मंत्र इस पुस्तक में पग-पग पर वर्णित हैं।
About the Author:
श्री समशेर सिंह ढक्करवाल एक साधारण परिवार से हैं, जिनकी शिक्षा लखनऊ में हुई। वे विज्ञान में स्नातक तथा वाणिज्य प्रशासन में स्नातकोत्तर (एम.बी.ए) हैं। श्री ढक्करवाल को लगभग 26 वर्ष से ज्यादा का अनुभव है तथा इस दौरान उन्होंने उत्तर भारत के 6 प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्च पद पर कार्य किया। कार्यरत रहते हुए वे विभिन्न सरकारी एवं जनकल्याण की योजनाओं के कुशल कार्यान्वयन का हिस्सा रहे एवं इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों तथा वहां के लोगों के जीवन तथा उनके व्यवहार में हो रहे परिवर्तन को करीब से अनुभव किया है। बचपन से ही उनका हिंदी भाषा के प्रति असीम प्रेम रहा है तथा समय-समय पर वे अपने विचारों को विभाग की गृह पत्रिकाओं व अन्य मंचों पर प्रकाशित करते रहे हैं। अपनी पुस्तक “जीवन चित्रण” के माध्यम से उन्होंने देश के बड़े वर्ग के आचरण तथा विचारों में हो रहे चिंताजनक परिवर्तन को एक सही दिशा की ओर ले जाने का प्रयास किया है।